दिल्ली हिंसा : शाहीन बाग में लंगर लगाने वाले बिंद्रा का नाम चार्जशीट में, हिंसा भड़काने का आरोप


नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ दिल्ली का शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन एक एतिहासिक आंदोलन था, इस दौरान संघर्ष की अनगिनत इबारतें लिखी गई और दुनिया ने उन्हें हाथोंहाथ लिया। 90 दिनों से ज्यादा चले इस आंदोलन में देश के अलग-अलग कोनों से हर तबके के लोगों ने अपनी क्षमता के मुताबिक विरोध दर्ज करने के साथ ही वहां मौजूद महिलाओं की हरसंभव सहायता की।

इसी दौरान वहां एक सरदार जी भी देखे जाते थे जो वहां मौजूद लोगों के लिए लंगर चलाते थे, पेशे से वकील डीएस बिंद्रा अपना फ्लेट बेचकर मिली रकम से वहां हजारों लोगों को रोज खाना खिलाते थे।

ताजा खबरों के मुताबिक नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में फरवरी आखिर में हुई हिंसा की जांच को आगे बढ़ाते हुए लगातार चार्जशीट पेश कर रही दिल्ली पुलिस ने अब एक नई चार्जशीट में कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या मामले में दाखिल की है जिसमें डीएस बिंद्रा का नाम है।

बिंद्रा शाहीन बाग के अलावा चांदबाग और मौजपुर में भी एंटी सीएए प्रोटेस्ट के दौरान फ्री में खाना पहुंचाते थे।

चार्जशीट में क्या है?

दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट के आधार पर कहा है कि चांदबाग इलाके में फैली हिंसा में डीएस बिंद्रा शामिल थे और उन्होंने हिंसा भड़काने का काम किया हालांकि उनका नाम सीधे तौर पर रतनलाल की हत्या मामले में दाखिल चार्जशीट में 17 आरोपियों के साथ नहीं है।

चार्जशीट में डीएस बिंद्रा, सलमान सिद्दीकी, सलीम खान, सलीम मुन्ना, शाहदाब, अख्तर और अन्य लोगों के नाम है जिन पर आरोप है कि इन्होंने लोकल लोगों की मदद से हिंसा फैलाई।

इसके अलावा पुलिस ने चार्जशीट तैयार करने के लिए कुछ गवाह के साथ कॉन्स्टेबल सुनील और ज्ञानसिंह के बयान भी शामिल किए हैं जो उन दिनों वहां ड्यूटी पर तैनात थे।

डीएस बिंद्रा ने इस पर क्या कहा

द क्विंट वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अपना नाम चार्जशीट में पाकर बिंद्रा ने बताया कि,

“मैंने सिर्फ लंगर देने का काम किया. मैंने वही किया जो मेरा ईमान मुझे सिखाता है. जो हमारे गुरुओं ने हमें सिखाया है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इसके लिए मुझे निशाना क्यों बनाया जा रहा है.”

आगे वह कहते हैं कि प्रदर्शन के दौरान हर समुदाय के लोग वहां आते थे और मैं बिना किसी भेदभाव के उन्हें लंगर खिलाता था. फिर चाहे वो पंजाब से आए सिख हों या फिर स्थानीय मुस्लिम, सब लोग वहां लंगर खाते थे.”

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