” देश में आने वाले प्रादेशिक चुनावों के लिए दिल्ली का संदेश साफ़ है “


   दिल्ली चुनाव पर सोशल वाणी


इसमें कोई संदेह नहीं कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के विधान सभा चुनाव को भाजपा ने भारतीय लोकतंत्र का अबतक का सबसे गंदा और सांप्रदायिक चुनाव बनाने में कोई क़सर नहीं छोड़ी थी !

और देश का हर ज़िम्मेदार नागरिक उसके हार जाने की दुआएं मांग रहा था।

भाजपा यह चुनाव हार भी रही है, लेकिन अगर आप सोचते हैं कि वह अपनी सांप्रदायिक और नफरत की राजनीति की वज़ह से हार रही है तो आप ग़लत हैं।

सांप्रदायिकता भाजपा की ताक़त रही है और उसके भक्तों की संख्या कुल मतदाताओं की संख्या की पैंतीस-चालीस प्रतिशत से कम नहीं है।

यह संख्या दिल्ली में उसे जिताने के लिए पर्याप्त थी। दिल्ली में भाजपा इसीलिए हार रही है क्योंकि वहां के धर्मनिरपेक्ष और जागरूक मतदाताओं ने भाजपा-विरोधी मतों का विभाजन नहीं होने दिया।

दिल्ली में मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस को खारिज़ कर भाजपा विरोधियों ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान किया।

देश में आने वाले प्रादेशिक चुनावों के लिए दिल्ली का संदेश साफ़ है। भाजपा की गंदी विभाजनकारी राजनीति से देश को मुक्त करना है तो आने वाले चुनावों में उसके विरोधी मतों का विभाजन हर क़ीमत पर रोकना होगा

फ़िलहाल आप और दिल्ली के सजग मतदाताओं को बधाई और शुभकामनाएं !

-ध्रुव गुप्त (पूर्व IPS अधिकारी)

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