बूँदी : दलित दूल्हा घोड़ी पर तभी बैठ पाया जब उसकी सुरक्षा में लगे 4 थानों के 80 पुलिसकर्मी!


ये आपके गौरवशाली राजस्थान की ही बात है, जहां एक दूल्हे को अपनी बारात डर से कांपते हुए निकालनी पड़ती है क्यों क्योंकि वो किसी विशेष जाति से नहीं आता, बस, इतनी सी बात है जिसकी वजह से घोड़ी पर बैठने से, धूमधाम से नाचते हुए गाजे बाजे के साथ शादी करने पर उसे मारा जाएगा…वाह रे तुम्हारा सो कॉल्ड प्राउड.

बूंदी के संगावदा गांव के परशुराम मेघवाल पेशे से सरकारी टीचर है, लेकिन जब शादी करने की सोची तो घोड़ी पर बैठने से पहले डीएसपी, एसएचओ लेवल तक के 4 थानों के 80 पुलिस वाले घोड़ी के आगे पीछे चल रहे थे।

तुम्हे इसी बात की चिढ़ है ना कि सालों से चला-चलाया वैसे ही चलता रहे हो ठीक है, क्यों? अगर ये पढ़ लिए तो, नौकरी पा जाएंगे, बोलेंगे फिर, धूमधाम से शादी करेंगे, औऱ वो हमें कैसे सहन होगा क्योंकि हमनें तो इनका छुआ लोटा भी आज तक घर की देहरी पर रख रखा है।

मेरी पैदाइश और परवरिश दोनों ही ब्राह्मण परिवार में हुई, लेकिन जब देखता हूँ 100 किलोमीटर दूर बूंदी में जेड प्लस सिक्योरिटी में दूल्हा, डांगावास का नरसंहार, दौसा में में दलित लोगों से मारपीट और लूटपाट, नागौर में पैंसठ वर्षीय महिला को उसकी छह बीघा भूमि के लिए जलाकर मार डालना, नागौर में एक दलित महिला की कुएं से पानी भरने के विवाद के कारण हत्या…..

और ना जाने कितने ही ऐसे मामले और आंकड़े हैं जो गिनाए जा सकते हैं लेकिन उनसे होगा क्या..मैं जब भी डांगावास नरसंहार को फिर से गूगल करता हूं तो आज भी पल भर के लिए व्यथित हो जाता हूं, कि काश ये पीछे लगा स्टीकर ना होता तो क्या सब सही होता, काश ऊंच-नीच ना होती तो आज परशुराम अपनी बारात में सहमा हुआ घोड़ी पर ना बैठा होता।

ये कोई मामूली बात नहीं है कि एक दूल्हा घोड़ी पर 80 पुलिस वालों के साथ जा रहा है, इस तस्वीर को बार-बार देखिए… समाज का कितना कायर और काला चेहरा निकलकर बाहर आता है?

हां, आखिर में मुझे उस सुबह का बेसब्री से इंतजार है जब परशुराम जिस घोड़ी पर बैठा है वो बराबरी हर कोने, हर कूंचे में हो, क्योंकि परशुराम ने ये घोड़ी जितनी ऊंचाई भी हासिल की है, खैरात में तो उसे ये जेड-प्लस सिक्योरिटी ही मिली है, ओर ये ऊंचाई हासिल करने वाले, हक से ना जाने कितने परशुराम निकलेंगे। उम्मीद है, जल्द होगी वो सुनहरी सुबह।

अवधेश

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