सत्ता में मुसलमानों की अनदेखी से नाराज़ पूर्व मंत्री दुर्रू मियां ने लिखा कांग्रेस प्रभारी को खत


दिसंबर 2018 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में प्रदेश में भले ही भाजपा की जगह काग्रेस की सरकार बन गई है लेकिन इस बदलाव से राजस्थान के मुसलमानों की खुशी अब मायूसी में बदलती जा रही है. प्रदेश में काग्रेस की सरकार बनाने के लिए भले ही अल्पसंख्यक समुदाय ने एक तरफा काग्रेस के पक्ष में मतदान किया हो लेकिन इसके बावजूद भी सत्ता और संगठन में मुसलमानों की भागीदारी नज़र नहीं आ रही है. काग्रेस सरकार में हो रही इस अनदेखी से प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदाय में जबरदस्त नाराज़गी देखी जा रही है.

2008 में राजस्थान की गहलोत सरकार में चिकित्सा मंत्री रहे एमादुद्दीन अहमद खान उर्फ नवाब दुर्रू मियां ने प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार में प्रदेश में मुसलमानों की अनदेखी पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर उनका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है. दुर्रू मियां राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और राज्य सभा के सांसद भी रह चुके हैं.

राजस्थान कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष आबिद कागज़ी ने बताया कि दुर्रु मियां ने दिल्ली में राजस्थान के प्रभारी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव अजय माकन से भी प्रदेश के मुसलमानों के मुद्दों को लेकर 3 दिन के अंदर दो बार मुलाकात की. इसके अलावा सलमान खुर्शीद, भंवर जितेंद्र सिंह और कुमारी शैलजा से भी मुलाकात कर मुसलमानों के मुद्दों को इन सब के सामने रखा.

उन्होंने बताया कि दुर्रु मियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र के माध्यम से प्रदेश के मुसलमानों के मुद्दों से अवगत करवाने के बाद मुख्यमंत्री के OSD पुखराज पाराशर से भी मिलकर विस्तार से सभी मुद्दों पर चर्चा की.

यह है प्रदेश के मुसलमानों के मुद्दे

1. सरकार को मदरसा पैराटीचर को नियमित करने की मांग को लेकर कोई समाधान निकालना पड़ेगा। प्रदेश में करीब 6000 मदरसा पैरा टीचर है लेकिन ना तो इन्हें पेमेंट समय पर मिल रहा है, ना ही किसी का कोई ट्रान्सफर हो रहा है और ना नियमित करने की दिशा में कोई काम हो रहा है. मदरसा पैरा टीचर्स की इन मांगों की वजह से कांग्रेस की छवि खराब हो रही है जिसका असर उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के चुनावों पर भी पड़ सकता है.

2. सरकारी स्कूलों में उर्दू अध्यापकों की नियुक्ति नहीं होने तथा अभी तक किसी भी सरकारी स्कूल में उर्दू का सिलेबस नहीं पहुंचा है जिससे अल्पसंख्यक वर्ग नाराज है. इसके अलावा मदरसों में भी अभी तक यूनिफार्म की व्यवस्था नहीं है.

3. प्रदेश के बोर्ड और निगमों में अल्पसंख्यक वर्ग से नियुक्तियां नहीं होने से रोष व्याप्त है.

4. प्रदेश की नगर परिषद और नगर पालिकाओं में भी अल्पसंख्यक वोटों के आधार पर सहवरित पार्षद बनाए जाने चाहिए.

5. प्रदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर उर्दू के कुल 28 पद रिक्त है लेकिन 18 दिसंबर 2020 को जारी होने वाले भर्ती विज्ञापन में महज 5 पदों को ही शामिल किया गया है जो कतई न्यायोचित नहीं है. पिछली भाजपा सरकार में कॉलेज व्याख्याता भर्ती 2014-15 में उर्दू के कुल 22 पद रिक्त थे और 22 पदों पर ही भर्ती हुई थी. इस बार 28 पद रिक्त है और भर्ती विज्ञापन सिर्फ 5 पदों का जारी हुआ है. 28 रिक्त पदों में से सिर्फ 5 पदों पर भर्ती करना न्याय संगत प्रतीत नहीं होता है। बाकी रिक्त पदों को भी भर्ती में शामिल करवाने की मेहरबानी करें ताकि राज्य के सरकारी महाविद्यालयों में उर्दू भाषा का उत्थान हो सके.

6. काग्रेस सरकार ने वर्ष 2013 में 308 यूनानी चिकित्सकों की भर्ती बोनस अंक से करने के लिए विज्ञापन जारी किया था परंतु नई भाजपा सरकार ने इनमें से 180 पदों को कम कर दिया था जिससे बहुत से संविदा यूनानी चिकित्सक नियमित नहीं हो पाए. अब इन पदों को पुनः सर्जित करवाए जाने की जरूरत है. यूनानी चिकित्सा में 80% पद अल्पसंख्यक समुदाय से ही भरे जाते हैं.

7. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में अल्पसंख्यक कल्याण के बिन्दु संख्या 22.2 में अल्पसंख्यकों से संबंधित अल्पसंख्यक मामलात विभाग तथा अन्य विभाग से संबंधित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए संबंधित विभागों के मध्य समन्वय और योजनाओं की बेहतर मोनिटरींग के लिए राज्य स्तर पर एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने की घोषणा की गई थी, किन्तु प्रदेश में अभी तक विशेष प्रकोष्ठ का गठन नहीं किया गया है. जिससे अल्पसंख्यकों से संबंधित योजनाओं की प्रभावी ढंग से मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है.

8. काग्रेस के जन घोषणा पत्र के बिन्दु संख्या 22.3 के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय के विकास में रह गई कमियों का पता लगाने तथा उनके समाधान के लिए प्रत्येक जिला स्तर एवं पंचायत समिति स्तर पर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों, अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों एवं सरकारी एजेंसियों को मिलाकर समितिया बनाना और समिति द्वारा चिन्हित मुद्दों पर विशेष कार्यवाही करने की घोषणा की गई थी किन्तु अभी तक इस बिन्दु की भी क्रियान्विति प्रदेश में नहीं हुई है.

9. जन घोषणा पत्र के बिन्दु संख्या 22.4 के अनुसार सभी मदरसों में कम्प्यूटरों की संख्या बढ़ाते हुए इंटरनेट कनेक्शन लगाने की घोषणा की गई थी, किन्तु प्रदेश के कुल 3240 मदरसों में से 296 मदरसों को ही कम्प्यूटर उपलब्ध करवाये गये हैं. इन मदरसों में भी इंटरनेट कनेक्शन नहीं लगाया गया है. इस घोषणा की भी अब तक पूर्ण क्रियान्विति नहीं हुई है.

10. वर्ष 2013-14 की बजट घोषणा में प्रत्येक जिला मुख्यालय पर अल्प संख्यक समुदाय के बालक एवं बालिकाओं के अलग-अलग छात्रावास खोले जाने का प्रावधान किया गया था, किन्तु कुछ जिलों को छोड़कर अधिकांश जिलों में छात्रावासों का निर्माण नहीं हो पाया है अतः वंचित जिलों में छात्रावास निर्माण हेतु बजट उपलब्ध करवाया जाए.

11. राजस्थान अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास सहकारी निगम के द्वारा अल्पसंख्यकों को कारोबारी एवं शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जाता है, किन्तु NMDFC द्वारा निगम को बहुत ही कम राशि उपलब्ध करवायी जाती है. जिससे प्रदेश के अल्पसंख्यकों को इस योजना का पर्याप्त लाभ नहीं मिल पा रहा हैं.

12. वर्ष 2020-21 में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइड लाइन के अनुसार 15% लक्ष्य अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित किये जावे। जिससे अल्पसंख्यक समुदाय इस योजना का लाभ उठाकर अपने आर्थिक स्तर को उठा सके.

13. अल्पसंख्यक विभाग में मदरसा बोर्ड सचिव, निदेशालय में उपनिदेशक, हज कमेटी, वक्फ बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं आयोग के सचिव के पद पूर्ति हेतु राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी का केडर लागू किया गया है. इन अधिकारियों को अल्प संख्यक समुदाय की योजनाओं की पर्याप्त जानकारी नहीं होने एवं बार-बार स्थानान्तरण होने से योजनाओं की क्रियान्विति एवं मोनीटरींग प्रभावी ढंग से नहीं हो पाती है अतः इन पदो को समकक्ष राज्य सेवा के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति में भरा जाये। जिसमें अल्पसंख्यक अधिकारियों को प्राथमिकता दी जाये. इससे प्रशासनिक सेवाओं में अल्पसंख्यकों की भागीदारी बढ़ेगी एवं योजनाओं की क्रियान्विति भी प्रभावी ढंग से हो पाएगी.

14. बजट 2013-14 के बिन्दु संख्या 92 के अनुसार प्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय एवं अल्प संख्यक बाहुल्य 23 विकासखण्डों में अल्प संख्यक समुदाय के बालक बालिकाओं हेतु पृथक पृथक छात्रावास खोले जायेगे, जिसके लिए वर्ष 2013-14 में 56 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित था। इसके अतिरिक्त अल्प संख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में 20 माध्यमिक विद्यालय खोलना भी प्रस्तावित है, जिन पर लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. यह घोषणा तो की गयी लेकिन इसकी पूर्ण क्रियान्वित अब तक नहीं हुई है.

15. बजट 2013-14 के बिन्दु संख्या 97 के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों को निवास एवं हस्तशिल्प उत्पादों के निर्माण एवं विपणन की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से जयपुर की तर्ज पर, जोधपुर में भी आगामी वर्ष दस्तकार नगर स्थापित करना प्रस्तावित था. परन्तु अभी तक जोधपुर में दस्तकार नगर स्थापित नहीं हुआ है.

16. बजट 2013-14 के बिन्दु संख्या 98 के अनुसार अल्पसंख्यक वर्गों एवं अन्य क्षेत्रों के विकास हेतु विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2013-14 में 200 करोड़ रुपये के अंशदान से अल्पसंख्यक कोष के गठन की घोषणा की गई थी. इस घोषणा की भी क्रियान्विती अभी तक अपेक्षित है.

17. प्रदेश में 3240 मदरसे मदरसा बोर्ड में पंजीकृत है. इन मदरसों में से अधिकांश में मदरसा शिक्षा सहयोगी नहीं होने से बन्द पड़े हुए हैं और जो मदरसे संचालित है उनमें से अधिकांश मदरसों में एक शिक्षा सहयोगी ही कार्यरत है जिससे अल्प संख्यक समुदाय के छात्र छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त नहीं हो रही है. राजस्थान मदरसा बोर्ड की ओर से समय-समय पर कम्प्यूटर स्मार्ट बोर्ड एवं अन्य शिक्षण सामग्री उपलब्ध करवायी जा रही है किन्तु मदरसे में कम्प्यूटर शिक्षक नहीं होने में मदरसे में अध्ययनरत छात्राओं को कम्प्यूटर शिक्षा का ज्ञान प्राप्त नहीं हो रहा है एवं बोर्ड की ओर से वितरित किये गये कम्प्यूटर का भी उपयोग नहीं हो रहा है. अतः प्रत्येक मदरसे में कम्प्यूटर शिक्षक एवं मदरसा शिक्षा सहयोगी की नियुक्ति की जायें जिससे अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं का शैक्षिक स्तर बढ़ाया जा सके. इस संबंध में काग्रेस की सरकार द्वारा वर्ष 2012-13 की बजट घोषणा के बिन्दु संख्या 64 में 1000 कम्प्यूटर पैराटीचर एवं 1000 मदरसा शिक्षा सहयोगी भर्ती करने की घोषणा की गई थी जो अब तक पूरी नहीं हुई है.

18. माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा 2 अक्टूबर, 2013 को मोलाना आजाद यूनिवर्सिटी जोधपुर की स्थापना के समय 10 करोड़ रूपये देने की बात कही गयी थी परन्तु यह राशि अभी तक नहीं मिली है, इस राशि को जल्द दिलवाया जाए.

19. मुस्लिम इलाकों में आये दिन दंगों की स्थिति बनी रहती है क्योंकि आरएसएस ने हर इलाके में शाखा लगाना शुरू कर रखा है, जिससे राजस्थान में कई इलाकों में विवाद की स्थिति हमेशा बनी रहती है. पुलिस भी अल्पसंख्यक वर्ग की खुलकर मदद नहीं कर पाती है इसलिए अल्पसंख्यक वर्ग के इलाकों में सुरक्षा की ज्यादा आवश्यकता है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान के प्रभारी अजय माकन और काग्रेस के अन्य नेताओं को दिए पत्र में पूर्व मंत्री दुर्रू मियां ने लिखा है कि अगर राजस्थान में मुस्लिम समुदाय की इन समस्याओं का जल्द निराकरण कर दिया जाता है तो राजस्थान में अल्पसंख्यक वर्ग मजबूती के साथ कांग्रेस के साथ खड़ा रहेगा और आने वाले यूपी चुनावों में भी इसका फायदा मिलेगा.


 

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