ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया…सड़कों पर कई कि.मी. पैदल चलने को मजबूर सैकड़ों रामलला !

पहले रामायण आती थी तो सड़कों पर कर्फ्यू लग जाता था. आज सड़कों पर कर्फ्यू है…

बस कुछ रोज़ की बात है !

टप-टप गिर रहा था आज बूंदों के रूप में जो आसमाँ से, आज इन बूंदों में…

जिसका नाम ‘पुलिस’ है !

“हम खून की किस्तें तो कई दे चुके लेकिन ए खाक-ए-वतन कर्ज अदा क्यूं नहीं होता”…

शहर का तब्दील होना, शाद रहना और उदास रौनके जितनी यहां है, औरतों के दम से है !”

मुनीर नियाज़ी नामी शायर ने अपने ज़माने में कहा था कि “शहर का तब्दील होना शाद…