सरकार ने कुछ दिन पहले नई निविदा नीति जारी की है जिसके विरोध में कर्मचारी हड़ताल पर है और अपनी 7 सूत्री मांगों को मनवाने के लिए अड़े हुए हैं। हड़ताल के कारण प्रदेश की करीब 1400 एंबुलेंस थमने के कारण हजारों लोगों पर इसका सीधा असर देखा जा सकता है।

राजनीति

राजस्थान एंबुलेंस हड़ताल : सरकार से बातचीत फेल, इन मांगों पर अड़े हैं कर्मचारी

By अवधेश पारीक

November 01, 2019

राजस्थान के कई इलाकों में बीते गुरूवार से ‘जीवनदायिनी’ कही जाने वाली 104 और 108 एंबुलेंस के पहिए थमे हुए हैं। राजस्थान कर्मचारी संघ के आह्वान पर एंबुलेंस कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल बुलाई है जहां कर्मचारी जनपथ पर डेरा डाले हुए हैं।

सरकार ने कुछ दिन पहले नई निविदा नीति जारी की है जिसके विरोध में कर्मचारी हड़ताल पर है और अपनी 7 सूत्री मांगों को मनवाने के लिए अड़े हुए हैं। हड़ताल के कारण प्रदेश की करीब 1400 एंबुलेंस थमने के कारण हजारों लोगों पर इसका सीधा असर देखा जा सकता है।

हालांकि कर्मचारियों ने बीते शाम अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह के साथ बातचीत की लेकिन कोई हल नहीं निकला।

वहीं स्वास्थ्य विभाग ने आंदोलनकारी कर्मचारियों से उनकी सभी मांगों पर चर्चा करने के बाद काम फिर से शुरू करने की अपील की। सिंह का कहना है कि, “मैंने कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ बात की है और सभी मांगों को संभव हद तक हल किया जाएगा।

 

इसके इतर राजस्थान एम्बुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह का कहना था कि, “स्वास्थ्य विभाग ने हमें हमारी मुख्य मांग को  लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया है”।

कर्मचारियों के धरने स्थल पर जनमानस राजस्थान की टीम पहुंची और कर्मचारियों से बात की। कर्मचारियों का कहना है कि दिसंबर में निजी एंबुलेंस का कार्यकाल या लाइसेंस खत्म होने जा रहा है। यदि सरकार एक नई कंपनी को निविदा प्रक्रिया के तहत काम पर रखती है, तो वर्तमान कर्मचारियों की नौकरी जाने का खतरा हो सकता है।

जीवीके-ईएमआरआई (ऑपरेटिंग एजेंसी) के अनुसार, राज्य में 1,477 एम्बुलेंसों में से, केवल 505 ही मरीजों को हैंडल कर पाती है. आम तौर पर, औसतन एक दिन में, एम्बुलेंस के लिए 3,200 से अधिक कॉल आते हैं।

  1. एंबुलेंस ड्राइवर की मासिक सैलरी 8,000 से 14,000 की जाए, वहीं नर्सिंग स्टाफ को 16,000 रुपये हर महीने मिले। इसके साथ ही हर साल वेतन में 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो।
  2. कर्मचारियों को दिन में 8 घंटे से अधिक काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
  3. निजी फर्म द्वारा किसी भी तरह के उत्पीड़न को रोकने के लिए एक आरएएस रैंक के अधिकारी नियुक्ति की जाए।
  4. नई निविदा जारी हों लेकिन वर्तमान कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाला जाए।

ताजा जानकारी के मुताबिक, एंबुलेंस कर्मचारी संघ के एक नेता वीरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी भी हुई है। वहीं हड़ताल को अपना समर्थन देने सीपीएम विधायक बलवान पूनियां धरना स्थल पर पहुंचे और मांगों को जायज बताया।