भारत-चीन सीमा विवाद आक्रामक क्यों हो रहा है? आसान शब्दों में यहां समझिए


आखिर चाहता क्या है चीन? अचानक या सोच-समझकर इतनी आक्रामकता दिखा रहा है चीन?क्या है भारत-चीन के बीच सीमा विवाद ? भारत-नेपाल,भारत-चीन सीमा विवाद किस प्रकार भिन्न है?सभी प्रश्नों का जबाब जानने के लिए,पिछले कुछ महीनों में हुई घटनाओं को ध्यान से समझना होगा।

चीन से दुनियाभर में कोरोना वायरस फैला,इस विषय पर विश्व के लगभग सभी देशों में सहमति है.पूरी दुनिया यह जानना चाहती है कि कोरोना वायरस कहाँ से फैला,कैसे फैला,चीन ने दुनिया से यह सच छुपाया क्यों? इन सबकी जांच हो.भारत ने भी 63 देशों के साथ इस विषय की जांच की मांग की.औऱ यही बात चीन को बर्दास्त नहीं हुई?

चीन की सीमा 14 देशों के साथ लगती है.भारत के साथ ही कई अन्य देशों से भी चीन का सीमा विवाद है.चीन के सभी विवादों में ताइवान, हांगकांग, तिब्बत, दक्षिणी चीन सागर, जापान, इंडोनेशिया औऱ भारत से सीमा विवाद प्रमुख है.इन सभी क्षेत्रों पर चीन अपना दावा करता है.

हाल में भारत के चीन से चल रहे सीमा विवाद की मुख्य वजह है, बीआरओ (बॉर्डर रोड़ आर्गेनाईजेशन) द्वारा सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर प्रमुखता से सड़क निर्माण करना.भारत ने चीन से लगती 3000 KM रोड़ बनाई, पूरे बॉर्डर पर लगभग 75% रोड़ का काम पूरा हो चुका है औऱ 61 रोड़े बन चुकी है. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन रोडों के निर्माण से चायना खफा है औऱ इसी कारण लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में चीनी सैनिकों औऱ भारतीय सैनिकों के बीच झड़पें हो रही है.अभी यह झड़पें गलवान वैली औऱ पैंगोंग सो लेक में हुई है.यह झड़पें बिना गोलीबारी,बारूद औऱ हथियारों के हो रही है. लात-घुसे, रॉड औऱ लाठी-पत्थरों से लड़ी जा रही है, लेकिन यह झड़पें मामूली नहीं है,क्योंकि 1962 की लड़ाई के बाद इस बॉर्डर पर पहली दफा 20 जवान शहीद हुए हैं.वंही चीन के भी कई सैनिकों के मारे जाने की खबर है.

गलवान वैली

चीन द्वारा 62 की लड़ाई में लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र अक्साई चीन पर, कब्जा करने के बाद LAC (Line of Actual Control) पर या के तौर पर स्थित है. पिछले दिनों चीन द्वारा लगातार इस क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई, कई तरह के टैंक औऱ बंकरों का निर्माण भारत की सीमा के करीब किया गया.

पैंगोंग सो लेक

सो का अर्थ तिब्बती में झील होता है.14000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित इस लेक की कुल लंबाई 135 km औऱ चौड़ाई 6 km है. जिसमें से भारत के पास 45 km का क्षेत्र है,जबकि इसी क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा 62 के युद्ध में भारत ने गवां दिया था.

यह झील भारत से निकलकर LAC को क्रॉस करते हुए अक्साई चीन तक जाती है. इस क्षेत्र में आठ फिंगर पॉइंट है, जहां भारत औऱ चीनी सेना पेट्रोलिंग करती रहती है. हाथ की सभी अंगुलियों को मुट्ठी में बंद करने पर,जो ऊपर-नीचे आकार बनता है, उसी के समान इस लेक का आकार होने के कारण, इस क्षेत्र को फिंगर एरिया कहते है.

पैंगोंग सो लेक में भारत का दावा है कि फिंगर 8 जो है वही LAC है,जबकि चायना फिंगर 2 को LAC मानता है. अभी भारत फिंगर 4 औऱ चायना फिंगर 8 तक के क्षेत्र पर नियंत्रण करता है.

वास्तव में भारत औऱ चीन के बीच LAC का निर्धारण नहीं हुआ है.सन 1999 में कारगिल युद्ध के समय भारत ने आपरेशन विजय के लिए लद्दाख से अपनी सेना को कारगिल भेजा औऱ इसी मौके का फायदा उठाकर चीन ने भारतीय सीमा में 5 KM तक सड़क निर्माण कर दिया.

 

इसी कारण फिंगर 4 से 8 के बीच कई बार भारतीय औऱ चीनी सेना आमने-सामने होती है.इस लेक में चीन लगातार जंगी जहाज औऱ सैन्य बल बढ़ा रहा है.

दर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड़(DBO, Road)

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह के दो गांव दर्बुक औऱ श्योक है,औऱ यहां से दौलत बेग ओल्डी तक रोड़ का काम चल रहा है,अभी पूरा नहीं हुआ है.DBO रोड़ पर भारतीय मिलिट्री का बेस है, जहां इंडियन एयरफोर्स तैनात है.यह अक्साई चीन यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से मात्र 9 KM दूर है.यह एयरबेस उत्तर में सबसे ऊपर है,जो काराकोरम पास से जोड़ता है,काराकोरम पास भारत के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है.सियाचिन ग्लेशियर के नजदीक इस क्षेत्र का तापमान -50 से -55 तक पहुंच जाता है.

हाल में 6 जून को भारत औऱ चीन के बीच हुई सैन्य स्तर की वार्ता में दोनों सेनाओं ने पीछे हटने का निर्णय किया गया, लेकिन चीन ने विश्वासघात किया औऱ गलवान वैली में भारतीय सेना पर हमला कर दिया.भारतीय सेना ने भी करारा जबाब दिया नुकसान दोनों ओऱ हुआ है.

इस घटना के बाद चीन,भारत पर आरोप लगा रहा है कि भारत ने समझौते का उल्लंघन किया,जबकि भारत का कहना है कि चीन ने उल्लंघन किया.सीमा पर तनाव जारी है.चीन की विस्तारवादी नीति के कारण,उसके सभी पड़ोसी राष्ट्र परेशान है,पाकिस्तान को छोड़कर.

वर्तमान में चीन आर्थिक शक्ति है.विश्व के कई देश चीन पर निर्भर है. भारत के सभी पड़ोसी देशों में चीन ने भारी-भरकम निवेश किया है.श्रीलंका,बांग्लादेश,पाकिस्तान,नेपाल,भुटान एवं म्यांमार जैसे देशों को कर्ज में डुबोकर उनके सैन्य व समुद्री अडडों पर कब्जा जमाकर लगातार भारत को घेर रहा है.

हालांकि सरकार ने चीन के दबाब को दरकिनार कर,BRO के सभी रोड़ प्रोग्राम्स को जारी रखा है.सड़के बन रही है, इसी बौखलाहट में चीन ने गलवान में सैनिकों से झड़पें की हैं.

भारत की विदेश नीति में कुछ बदलाव हुए,लेकिन अभी औऱ बदलाव की जरूरत है! कुछ मुख्य बिंदु

1. चीन ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में हर बार पाकिस्तान का साथ दिया है.भारत के खिलाफ अनेकों बार चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया है.

अब समय आ गया है कि भारत भी ताइवान को एक स्वतंत्र देश के रूप में पहचान दे,औऱ सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ताइवान को शामिल करने की पैरवी करें.

2. हांगकांग के लोकतंत्र,(One Country, Two System/Principal) बेसिक लॉ,औऱ स्वतंत्रता को बचाने के लिए,भारत को चीन द्वारा लाए गए,नए सिक्योरिटी लॉ का विरोध करना चाहिए.

3. चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों के विषय को,भारत संयुक्त राष्ट्र में उठाए.

4. भारत को चीन पर अपनी आर्थिक निर्भरता कम करनी चाहिए. चीन का भारत पर लगभग US$ 60 बिलियन का व्यापार घाटा है,उसे कम करना ही होगा.

5. आत्मनिर्भर भारत अभियान की हंसी न उड़ाकर, छोटी से छोटी वस्तुएं भी भारत में बनी, प्रयोग करने का संकल्प करना होगा.

– सचिन पारीक (लेखक भारतीय जनसंचार संस्थान में पढ़ते हैं और यह उनके निजी विचार हैं।)

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