दलित शोषण मुक्ति मंच और जनवादी लेखक संघ की और से जयपुर के विनोबा ज्ञान मन्दिर में "मीडिया, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय" पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध पत्रकार व लेखक अनिल चमड़िया ने मुख्य वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त किए।

राजनीति

देश के महत्तपूर्ण हिस्से कश्मीर में लगी आग की खबरें मीडिया से गायब है : पत्रकार अनिल चमड़िया

By khan iqbal

September 18, 2019

जयपुर : बीते मंगलवार 17 सितम्बर 2019 को महान क्रांतिकारी व समाज सुधारक पेरियार की जयंती व जनवादी लेखक संघ राजस्थान के महासचिव साथी राजेंद्र साईवाल के स्मृति दिवस पर दलित शोषण मुक्ति मंच और जनवादी लेखक संघ की और से जयपुर के विनोबा ज्ञान मन्दिर में “मीडिया, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय” पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध पत्रकार व लेखक अनिल चमड़िया ने मुख्य वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए विषय से ताल्लुक रखने वाले विभिन्न पहलुओं पर जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया हमे कैसा बनाना है उसके अनुसार अपनी खबर छापता है इसी क्रम में मीडिया अपने नज़रिये को तथ्य के रूप में प्रकट कर रहा है।

मीडिया के लिए पाकिस्तान एक देश नही सिर्फ मुसलमान है यही कारण है कि पाकिस्तान में वहाँ की सिविल सोसायटी द्वारा जो वहाँ की हुकूमत के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किए जाते है वह भारत की मीडिया में कही नज़र नही आते है। अपने विचार प्रकट करते हुए अनिल चमड़िया ने कहा कि हमारे देश मे लाखों मील दूर अमेजन के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए देश मे जो प्रार्थना होती है उनको मीडिया बेशक छापता है लेकिन देश के ही एक महत्तपूर्ण हिस्से में जो आग लगी पड़ी है वह समाचार पूरे तौर पर मीडिया से गायब है।

मीडिया के मौजूदा हालात बेहद चिंताजनक – वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया

मीडिया और पूंजीपति घरानों के गठजोड़ का जिक्र करते हुए कहा कि योजना आयोग के उपाध्यक्ष पी सी मोहलिस ने 1964 में अपनी रिपोर्ट में बहुत विस्तार से इसका जिक्र किया था। श्री चमड़िया ने मौजूदा हालातों पर अपनी चिंता प्रकट करते हुए कहा कि आज न्यायालय नही न्यायधीश फैसला कर रहे है। भारतीय मीडिया की मानसिकता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नेपाल के हिन्दू राष्ट्र का जिक्र तो भारतीय मीडिया प्रमुखता से करता है लेकिन नेपाल दुनिया का सबसे गरीब देश है और वहाँ वेश्यावृत्ति की दर दुनिया मे सबसे अधिक देशो की गिनती में होती हैं इसका जिक्र भारतीय मीडिया में नज़र नही आता है।

परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे मोहन श्रोत्रिय ने अपने अध्यक्षीय उध्बोधन में कहा कि मीडिया के द्वारा ऐसा वातावरण निर्मित कर दिया गया है कि अधिकांश नागरिक अपनी बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज करते हुए सिर्फ मोदी, मुसलमान और कश्मीर का जिक्र करता है, उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज़ादी के बाद यह पहली सरकार है जिसने परिवार और पारिवारिक सम्बन्धो में भी दरार डालने का काम किया है। इस अवसर पर गांधीवादी नेता सवाई सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश अघोषित आपातकाल की तरफ बढ़ रहा है सम्भावित खतरों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पता नही कब सरकार हमको कब अर्बन नक्सली घोषित कर जेल में डाल दे।

परिचर्चा के शुरुआत में जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर राजीव गुप्ता ने पेरियार सहित महात्मा ज्योतिबा फूले, साहू जी महाराज से लेकर डाक्टर भीमराव अंबेडकर तक  देशभर के तमाम समाज सुधारकों  का देश व समाज मे उनके प्रभावों का जिक्र किया। कार्यक्रम के अंत मे दलित शोषण मुक्ति मंच के जयपुर जिलाध्यक्ष प्यारेलाल शकुन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। परिचर्चा का संयोजन सन्दीप मील ने किया।

परिचर्चा में प्रमुख तौर पर देश के प्रमुख कवि व साहित्यकार कृष्ण कल्पित, दिवंगत राजेन्द्र साईवाल की धर्मपत्नी कुसुम साईवाल, साहित्यकार नन्द भारद्वाज, राजाराम भादू, राजस्थान नागरिक मंच के आर सी शर्मा, अनिल गोस्वामी, भूरे सिंह, डगर के भंवर मेघवंशी, राकेश शर्मा, विकल्प नाट्य संस्था के विजय स्वामी, कामरेड रमेश शर्मा, सुनीता चतुर्वेदी, डॉक्टर संजय माधव, शैलेन्द्र अवस्थी, पत्रकार सुधांशु मिश्रा, मोहम्मद फारुख खान, सामाजिक कार्यकर्ता कपिल सांखला, अनिल शर्मा,  युवा नेता सन्दीप सुंडा, समाजवादी जनपरिषद के उपेंद्र शंकर, सुनीता, रामावतार कुंडल, बसन्त हरियाणा सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।