युवा क़लम

हे!पोषण करने वाले उठ, कब तक शोषण सहेगा!

By khan iqbal

March 12, 2018

ना कल सोने की चिडिया था ना आज सोने की चिडिया है गरीब तो पहले भी भूखा था आज भी रोटी का मोहताज है

किसान तो पहले भी पिसता था सत्ता के उन गलियारो मे जहां आज घुट गया गठबंधन की सरकारों मे बदल न पायी उसका जीवन लोकतंत्र की आजादी भी

फिर आस लगाए बैठा है अपने उन सरदारो से जिन्हें कोई गिला नही तेरे फन्दे से लटक जाने मे

हे! दुनिया का पोषण करने वाले कब तक खुद का शोषण देखेगा ऊठ जाग और हुकांर भर कब तक फन्दे से झूलेगा कब तक देखेगा अपनो का नाश कब तक ईश्वर को कोसेगा

अपने अधिकारो की मांग भरनी है तूझे अपने संघर्षो की लाठी से माना की राह दुर्गम है तेरी है जीवन तेरा विपदाओ का लेकिन सच्चा सुख भी है मेहनत की उस रोटी का