जनमानस विशेष

विश्व जल दिवस: बूँद बूँद को तरस ना जाएँ हम!

By khan iqbal

March 22, 2018

 

Shoukat ali khan

आज जल दिवस है हर जगह सेमिनार, संघोष्ठियाँ अपनी चरम सीमा पर है कि जल ही जीवन है …फिर कल कोई नया दिवस आएगा उसके लिए भी वही गुणगान …..

प्रासंगिकता को अगर हक़ीक़त में तब्दील कर दिया जाए तो सैकड़ो क्यूसेक जल बेजान होकर मृत अवस्था मे धकेला जा रहा होगा और बदनाम भी जिसके ठेकेदार भारत मे तो कारखाने,उधोगधंधे हो सकते है या उपयोग करने की अविवेकीय मानसिकता। अमृत की पराकाष्ठा खत्म होने को है ,जहाँ पेयजल है वहाँ शान्त समाज है जहां बून्द-बून्द की तरश है वहाँ त्राहिमाम है ….क्यों?यह सब कैसे?? बोलिविया का जल संकट तो सुना होगा … यह तो आप पहले से ही ज्ञात है कि विश्व मे थल से ज्यादा जल है तो फिर इसे सहजने और सरंक्षण की इतनी आवश्यक क्यों ? हम तो आधुनिक प्रौद्योगिकी में विधमान है खारे को अमृत कर देंगे और तालाब को समन्दर लेकिन हमे सतत,समावेशी और संपोषणीय विकास की जरूरत आन पड़ी है हम अपनी भावी पीढ़ी को कैसे दिलासा देंगे …??

जल तुझे क्या कहूँ? जीवन या संकट या मनुष्य का भाग्य तेरे को पाने के मंजर से मुझे हमेशा दूर रखना, एक तूं ही तो है जो मेरा कल है वरन मेरा सूखा कफ़न है …