राजनीति

राजस्थान कांग्रेस में जल्द आयेगा बड़ा बदलाव, बनाये जा सकते हैं चार कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष

By khan iqbal

April 27, 2018

अशफाक कायमखानी राजस्थान प्रदेश में इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव मे बहुमत पाकर सरकार बनाने की चेष्टा मे कार्यरत कांग्रेस पार्टी के थींक टेंक की सलाह पर और मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस मे भी पार्टी हाईकमान जल्द बडा बदलाव करने वाले है। प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट को बदले बिना उनके अलावा उनके साथ अलग अलग जाति व क्षेत्र के चार मजबूत व सक्रीय नेताओ को कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत करने के अलावा चुनावो के समय बनने वाली लोक दिखावटी समितियो का गठन भी किया जायेगा। कार्यकारी अध्यक्ष के लिये दलित- किसान(जाट)- मुस्लिम व सवर्ण वर्ग मे से अध्यक्ष बनाया जाना तय माना जा रहा है। जिनमे अगर मुस्लिम को कार्यकारी अध्यक्ष नही बनाया गया तो उसकी जगह किसी आदिवासी नेता को मोका मिलना तय है। किसान वर्ग मे पुर्व सांसद ज्योती मिर्धा या पुर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया मे से कोई एक, दलितो आदिवासियो मे से पुर्व सांसद रघूवीर मीणा, पुर्व मंत्री मास्टर भवंर लाल या फिर पुर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा मे से एक, मुस्लिम वर्ग मे से दूर्रु मियां या फिर जूबेर खान एवं सवर्ण मे से पुर्व मंत्री शांती धारीवाल, पुर्व विधायक हरीमोहन शर्मा या फिर पुर्व विधायक चंद्रशेखर वेद मे से कोई एक कार्यकारी अध्यक्ष बन सकते है। राजस्थान के पुर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गुजरात चुनावो के बाद से पार्टी मे रुतबा बढता जा रहा है। गहलोत पार्टी के संगठन महामंत्री बनने के साथ साथ सर्वोच 14-सदस्यीय समिती “चुनाव समिती” के सदस्य होने के साथ साथ अनेक समितियो के सदस्य बने होने के कारण दिल्ली मे सियासी गौटिया फिट करने की पुरी कोशिश करेगे। गहलोत अपने विरोधियों को समय आने पर ढंग से ठिकाने लगाने के माहिर माने जाते है।हालाकि जातीय जनाधार के हिसाब से गहलोत जरा कमजोर है। लेकिन उन्होने बडी बिरादरी आधार वाले नेताओ को अपनी कूटनीतीयो से कमजोर साबित किया है। उनके अलावा उनकी बिरादरी का एक ओर विधायक उनकी पार्टी मे जीत कर आया पर गहलोत दो दफा मुख्यमंत्री बन कर सबको चोकाते रहे है। कुल मिलाकर यह है कि ज्यो ज्यों विधानसभा चुनाव नजदीक आते जायेंगे त्यो त्यो गहलोत समर्थक नेताओ का अलग अलग पोस्ट पर मनोनयन होता रहेगा। धीरे धीरे सचिन पायलेट अध्यक्ष होने के बावजूद कमजोर नजर आने लगेगे ओर गहलोत की तूती फिर बोलने लगेगी। इस बदलाव की कड़ी मे पहले पहल जल्द मई के पहले सप्ताह तक चार कार्यकारी प्रदेश अध्यक्षो का मनोनयन होना है।