भारत में बढ़ती भूखमरी चिंता का विषय

हरीश, एम. ए. (लोक नीति कानून एवं शासन)
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय

संयुक्त राष्ट्र संघ खाद्य एवं कृषि संगठन की 2017 की रिपोर्ट में वैश्विक भूखमरी सूचकांक में भारत अब 100वें पायदान पर है। 2016 की रिपोर्ट में भारत 97वें स्थान पर था इस रिपोर्ट के अनुसार देश में भूखमरी एक गंभीर समस्या है। दुनिया में भूखे सोने वालों तथा भूख से मरने वालों की संख्या में कमी नहीं हो रही बल्कि यह विकराल रूप ले रही है। इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल लगभग 30 से 35 करोड़ टन फल, दाल तथा सब्जियाँ वितरण प्रणाली की खामियों के चलते-चलते खराब हो जाती है। उत्सव, समारोह तथा अगर कोई छोटे से छोटा कार्यक्रम भी हो तो उसमें भी बड़ी मात्रा मेें पका हुआ भोजन अगर बच जाता है तो उसे फेंक दिया जाता  है परंतु किसी गरीब परिवार को नहीं दिया जाता। दुनिया में 60 प्रतिशत महिलाएँ भूख का शिकार हैं, तथा 24 हजार लोग प्रतिदिन किसी और बिमारी से नहीं बल्कि केवल भूख से मर रहे हैं। हमारे भारत देश में खाद्य सहायता कार्यक्रमों पर करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी यह समस्या हमारे लिए चिंता का विषय बनी हुई है। अगर यह ऐसे ही चलता रहा तो देश में भूख से मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा ही होती चली जाएगी। भारत में हर वर्ष 10 लाख टन प्याज तथा 22 लाख टमाटर खेत से बाज़ार तक ले जाते वक्त खराब हो जाते हैं। इसके साथ ही दाल की बहुत अधिक बर्बादी हो रही है, इससे साफ ज़ाहिर होता है कि हमें खाद्यान को सुरक्षित रखने के लिए अच्छे खाद्यान भंडारण की आवश्यकता है। खाद्यान की बर्बादी का असर किसी और पर न पड़ते हुए सीधा किसानों पर पड़ रहा है और फसल की बर्बादी का ख़ामियाजा इनको भुगतना पड़ रहा है और इससे हमारे देश के किसान आत्महत्या करने को मज़बूर हो रहे हैं।


खाने की बर्बादी करने का दोषी शादी-उत्सव, समारोह, पार्टियाँ तथा अन्य कार्यक्रमों को भी हम ठहरा सकते हैं क्योंकि हम खाने के लिए अपनी थाली में जितने भोजन की हमें ज़रूरत हैं उससे कहीं अधिक रखवाते हैं और उससे आधा ही खा पाते हैं, तथा बचे हुए भोजन को कुड़ेदान में डाल देते हैं। इसके विपरीत अगर कोई पार्टी या विवाह समारोह हो रहा है और उसमें कोई झोपड़-पट्टि या गरीब का बच्चा भी वहाँ आ जाए तो उसे बिना भोजन किए वहाँ से भगा दिया जाता है परंतु खाने नहीं दिया जाता है। भारत में पहले जब खाद्यान की दयनीय स्थिति आई तो भारत के तीसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति अगर सप्ताह में एक दिन उपवास रखें तों  बहुत ज्यादा अनाज की बचत हो सकती है। परंतु इस समय अनाज बचाने की बजाय बर्बाद किया जा रहा है अगर पहले के जैसा अब होने लग जाए तो भारत के किसी भी राज्य में शायद ही कोई भूखा सोये और भूख तथा कुपोषण से होने वाली बिमारियाँ भी कम हो सकती हैं।

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