आज फिर से तुमने बता दिया कि कोई तुम्हारे ऊपर भरोसा नहीं कर सकता है। तुम किसी के अपने नहीं हो और अब वो लोग तुमसे डरते भी नहीं हैं। तुम्हें आज भी क्यों लगता है कि तुम सही हो और तुमने आज तक कुछ गलत भी नहीं किया। अब तो जहाँ तुम रहते हो वहाँ भी गलत होता है और क्या तुम को पता भी नहीं चलता है क्या? तुमने इस बार ना कुछ बोला और ना कुछ किया, मैंने अब मान लिया कि तुम हो ही नहीं। तुम्हारे नाम पर सब गलत भी सही हो रहा है, शायद ये सब गलत ही तुम्हारे नाम की वजह से हो रहा है। तुम अब यहाँ से चले जाओ, ऐसे जाओ कि फिर कभी लौटकर ना आ पाओ। शायद तुम्हारे चले जाने से ही कुछ तो सही होगा और सही ना भी हो पर तुम्हारे नाम पर गलत तो नहीं होगा। हे भगवान आपसे अनुरोध है कि तुम चले जाओ, हिन्दु, मुस्लिम सब से दूर, कहीं भी जाओ बस यहाँ से चले जाओ।
-दीपिका मीणा
छात्रा, पब्लिक पॉलिसी लॉ एंड गवर्नेंस विभाग
राजस्थान सेंट्रल यूनिवर्सिटी