विदेश

तुर्की चुनाव : क्या होगा तुर्की का भविष्य?

By khan iqbal

June 23, 2018

-ख़ान इक़बाल

तुर्की में कल यानी 24 तारीख़ को राष्ट्रपति चुनाव हैं!राष्ट्रपति व्यवस्था लागू होने के बाद टर्की में ये पहला इलेक्शन है!वैसे वहाँ इलेक्शन तो 2019 में होने थे लेकिन एर्दोगान ने सियासी बाज़ीगरी दिखाते हुए जल्दी इलेक्शन करवाने का फैसला कर लिया है!क्योंकि पिछले साल टर्की में हुई नाकाम सैन्य बग़ावत से उनकी लोकप्रियता में ख़ासा उछाल आया था!एर्दोगान की AK पार्टी इस वक़्त सत्ता में है लेकिन पहली बार तुर्की में गठबंधन चुनाव लड़ हैं!एक गठबंधन AK MHP और BBP पार्टियों का है जिसे People’s Alliance वहीं दूसरी और मुख्यतः CHP IYI और SP पार्टियों का गठबंधन है जिसे National alliance नाम दिया है! People’s alliance के राष्ट्रपति उम्मीदवार एरोदगान हैं और वहीं National Alliance के तीन राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं!जिनमें मुहर्रेम इनसे,मर्केल अक्सेनर,सल्हाटतीं हैं!ये तीनों सेक्युलर टर्की का नारा दे रहे हैं!इसमें ख़ास बात ये है कि टर्की में इस्लामी सियासी विचारधारा के जनक नजमुद्दीन अर्बकान की “सादात पार्टी” भी सेक्युलर गठबंधन के साथ है!ये चुनाव टर्की के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और निर्णायक चुनाव है जो तुर्की के भविष्य का निर्माण करेगा!1923 में बने टर्की को 2023 में पूरे 100 साल हो जायेंगे ये खिलाफ़ते उस्मानियाँ का अंत था!ये चुनाव इस्लामपसंदों और सेक्युलरिस्ट्स के बीच एक निर्णायक युद्ध की तरह है!जो राष्ट्रपति को बहुत से अधिक अधिकार देता है!अगर अर्दगान जीते तो 2023 तक राष्ट्रपति रहेंगे!पहले चरण में अगर किसी प्रत्याशी को 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले तो वह विजयी घोषित होगा अन्यथा दूसरे चरण का चुनाव करवाया जाएगा!इस चुनाव पर एक तरफ़ मुस्लिम दुनियाँ की नज़र है क्योंकि अर्दगान ने मुस्लिम दुनियाँ के मुद्दे बेबाकी और हिम्मत के साथ उठाये हैं!वहीं पूरा यूरोप और अमेरिका को यूं तुर्की के इस्लाम की तरफ़ लौटना एक आँख नहीं भा रहा!असफ़ल सैन्य बग़ावत इसका एक सबूत था कि अर्दगान कैसे यूरोप की आँख में खटक रहा है!इस बार प्रवासी तुर्कियों को भी वोट देने का अधिकार दिया गया है जिसमें फ्राँस में एक वोटर ने अर्दगान को वोट देते हुए पर्ची पर लिखा “ए अर्दगान! हम तुम्हें आख़िरी उस्मानी ख़लीफ़ा सुल्तान अब्दुल हमीद की तरह तन्हां नहीं छोड़ेंगे” अगर अर्दगान जीते तो तुर्की में खिलाफ़ते उस्मानियाँ के समाप्ति के 100वें बरस वो फिर इस्ताम्बुल की हवा में महसूस किया जाएगा!