साहित्य

केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान के छात्र अंकित की कविता-काश! वो दिन…..

By khan iqbal

September 20, 2018

काश! वो दिन…..

काश! वो दिन फिर से आ जाए, जब कोई किसी बहाने से मुझसे मिलने आए। गले लग कर थोडा सा जो शरमाए, खुले बाल करके नज़रो से थोडा इतराए, वक़्त की ख़ामोशी में अपनी हँसी से, शांत माहौल को भी हसीन बनाए। मेरे एक बार बोलने पर जो, घरवालो से झूठ बोलकर मुझसे मिलने आए, वो मस्त शाम में नज़रो के बाण चलाए, हम घायल होकर उनकी बाँहो में सिमट जाए। काश! वो दिन फिर से आ जाए, जब कोई किताब के बहाने मुझे मिलने तो बुलाए।।

वो सुबह मिलने का तय करना, स्कूल के टाईम से तीस मिनट पहले घर से चलना, वो रोज की मस्ती का कुछ अजीब चहकना, कपास में उनके होठों की लाली का महकना, वो हमारी रोज़ के ख़तों की बात, मुझसे ज्यादा मेरे भाई को रास आती है, वो अँधेरी रात में चाँद को देख की गयी बात, अब चाँद नहीं दिखता तो बैचेनी बढ़ाती है। आज भी दबा है मेरे घर की दीवार में उसका ख़त, जो हर वक़्त उसके मेरे घर में रहने का एहसास कराए काश! वो दिन फिर से आ जाये, जब ऐसे ख़तों को वो अपने होंठो से चमकाए।।

हमारी कहानी में एक बात ख़ास थी, हम दोनों पागल थे,बस प्यारी हमारी बकवास थी, पता था कभी पूरा नहीं होगा प्यार हमारा, फिर भी पता नहीं क्यों? ये दिल क्यों करता हैं इन्तजार तुम्हारा, उस नाम में अक्सर तुमको ढूंढता हूँ, सब जाने हुए भी अनजान सा घूमता हूँ, अब भी याद है तुम्हारा वो आखिरी तोहफा, कोई सोच भी न सके इतना हसींन था वो मौका। काश वो दिन फिर से आ जाए, जब अंकित की बाँहो में भी कोई प्यार के गीत गए।।

अंकित कुमार (अंकित कुमार, केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान,अजमेर मे फिजिक्स मे B.Sc. third semester के स्टूडेंट हैै) मोब.न: 7378283646 Email-kankit9057@gmail.com