राजनीति

इन वजहों से पनप रही है राजस्थान के मुस्लिम समाज में कांग्रेस से नाराज़गी!

By khan iqbal

January 04, 2019

अशफाक कायमखानी जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने  विधायक बनने के लिये अपने लोकसभा निवार्चन क्षेत्र रहे दौसा व अजमेर की सभी विधानसभा क्षेत्रों के अलावा प्रदेश मे अपने गुर्जर बहुल क्षेत्रो को छोड़कर मुस्लिम बहुल विधानसभा टोंक को चुना।

मुस्लिम बाहुल्य सीट से चुनाव जीतकर विधायक  और उपमुख्यमंत्री बनने मे कामयाब रहने के बावजूद वो आज सत्ता के नशे मे मंत्रमुग्ध होकर कांग्रेस के परम्परागत मतदाता जिसने शतप्रतिशत मत कांग्रेस के पक्ष मे डालकर सरकार बनाने मे अहम रोल अदा किया उसके बावजूद पायलट की जिद्द के चलते राजस्थान मे मुस्लिम समुदाय को सत्ता मे हिस्सेदारी देने के बजाय उनको निराशा व भय की कोठरी की तरफ धकेला जा रहा है।

पूत के पैर पालने मे नजर आने व उगता सूरज ही नही तपेगा तो छिपता सूरज क्या तपेगा वाली कहावत की तरह राजस्थान मे दिसंबर-2018 मे कांग्रेस सरकार बनने के बाद अब तक सरकारी स्तर पर हुये फैसलो पर एक एक करके मुस्लिम समुदाय के तालूक से नजर दोड़ाने पर पता चलता है कि पिछली भाजपा सरकार की याद ताजा होने की तरफ हर फैसला इशारा करता साफ नजर आ रहा है।

1. सरकार मे मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री बनने के बाद मंत्रीमंडल के विस्तार मे भाजपा सरकार की तरह केवल एक मुस्लिम शाले मोहम्मद को मंत्री बनाया जिसको केवल अल्पसंख्यक व वक्फ मंत्रालय देकर ठंडा किया। जबकि भाजपा सरकार मे एक मात्र मुस्लिम मंत्री यूनूस खा के पास परिवन व पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण विभाग थे।

2. मंत्रीमंडल विस्तार के बाद भारतीय सिविल सेवा के अधिकारियों के तबादलो की लम्बी चोड़ी सूची मे भाजपा सरकार के समय एक मात्र अशफाक हुसैन की तरह दौसा कलेक्टर लगाने की तरह जाकिर हुसैन को हनुमानगढ़ कलेक्टर लगाया है।

3. इसी तरह भाजपा सरकार के समय अलवर मे सामुहिक भीड़ के गोपालको को मारने पीटने की घटनाओं की तरह कांग्रेस सरकार मे गौपालक सगीर को बूरी तरह भीड़ के पीटने की घटना पर कांग्रेस का मौन धारण करना अजीब दास्तां याद दिलाता है।

4. इसी तरह राजस्थान सरकार द्वारा एक महाअधिवक्ता व नो अतिरिक्त महाअधिवक्ताओं की नियुक्ति करने मे एक भी मुस्लिम एडवोकेट को इस नियुक्ति के काबिल नही मानते हुये उनको इन नियुक्तियों से पूरी तरह दूर रखा जाने का कारण समझ मे नही आता है।

इस तरफ जरा इतिहास की तरफ झांकते है तो पाते है कि भैरौसिंह शेखावत की सरकार के एक अतिरिक्त महाअधिवक्ता होने के बावजूद एम आई खान अतिरिक्त महाअधिवक्ता हुवा करते थे। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय मे मोहम्मद रफीक व नासीर अली नकवी अतिरिक्त महाअधिवक्ता (AAG) हुवा करते थे। लेकिन अब तादाद बढने के बावजूद नो मे एक भी मुस्लिम अतिरिक्त महाअधिवक्ता नही बनाने पर उनकी कार्यकुशलता व सरकार की नीयत पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।

हालांकि राजस्थान मे कांग्रेस सरकार को बने अभी जुमा जुमा आठ दिन ही हुये है। लेकिन इस सीमित समय मे सरकारी स्तर पर हुये अनेक फैसलो पर पकते चावल की हांडी मे से एक चावल को निकाल कर बानगी तौर देखने की तरह सरकार की मुस्लिम समुदाय के प्रति बनी नीयत व नीति की बानगी के तौर पर देखा जा सकता है। जबकि कांग्रेस जन भाजपा के विरोध मे बिन बूलाये मेहमान की तरह मुस्लिम मतदाताओं के कांग्रेस के पक्ष मे आने की तरह मानकर शायद उन्हें ट्रीट करने का मन बना चुकी लगता है। दूसरी तरफ राजस्थान मे कांग्रेस सरकार गठित होने के बाद हुये पदस्थापन व नियुक्तियों मे मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री की बिरादरीयो का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।